
तुमसे प्यार करना अच्छा लगता है
अच्छा लगता है तुम्हारा मुझसे नफ़रत करना
पास आना और फिर एक झटके में दूर चले जाना
तुम्हारी खामोशियों में छिपी बेचैनी को सुनना
तुम्हें सोचना
सताना
अच्छा लगता है
और तुम पूछ्ती हो क्यों?
बड़ा अच्छा लगता है
हिचकियां बांध कर रोते हुए किसी छोटे बच्चे को गोद में उठा लेना
और उसके आंसू पोंछ देना
किसी खाली शाम अपनी खिड़की के सामने की पहाड़ी पर
नीले अंधेरे और स्लेटी कोहरे को एक साथ गिरते देखना अच्छा लगता है
कभी-कभी अपने आप से बहुत दूर निकल आना
और एक जुनूनी इंसान को शहर के सड़कों पर
लंबी डगें भरते देखना भी अच्छा लगता है
बड़े होने पर मेरे पिता ने मुझे कभी बेटा कह कर नहीं पुकारा
फिल्मों में दिखने वाले पिता की तरह कभी दुलार नहीं किया
घर से विदा लेते वक्त
चुपचाप उनका दरवाजे तक मुझे छोड़ने आना
और बड़ी देर तक सिर झुकाए यूं ही खड़ा रहना मुझे बहुत अच्छा लगता है
छोटी-छोटी सुंदर अंगुलियों से रोटियां बनाती मां को याद करना अच्छा लगता है
कभी-कभी शहर की बत्ती गुल हो जाने पर
जुगनुओं की टिमटिमाहट की कल्पना करना
और माचिस की डिब्बियों में भर कर
उन्हें अपने कमरे में छोड़ देने की बात सोचना अच्छा लगता है
घने अंधेरों में फूलों के खिलने का ख़्वाब सजाना
और उसमें तुम्हारा मुस्कराता चेहरा देखना अच्छा लगता है
और तुम पूछ्ती हो क्यों?
तुम्हें सोचना...तुम्हारी खामोशियों को पीना
तुमसे प्यार करना
तुम्हें बाहों में भर कर रो पड़ने को दिल करना
इसलिए अच्छा लगता है...।
सुमित सिंह, मुम्बई
3 comments:
बहुत सुंदर रचना....
नव वर्ष कि शुभकामनायें ....
बह्त सुन्दर और भावपूर्ण रचना है। बहुत बहुत बधाई।
आपको व आपके परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।
बहुत सुंदर. बधाई।
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