...सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना....
-अवतार सिंह संधू उर्फ़ पाश

Saturday, December 12, 2009

इस पत्रकार की बेबसी पर क्या आप कोई मदद कर सकते हैं?

बिहार के एक पत्रकार नीरज झा ने कटिहार में मीडिया, प्रशासन और गुंडागर्दी की घिनौनी साजिश को लेकर आवाज उठाई है। उनके मुताबिक इस मुहिम में उनकी जान-माल को भी खतरा हो सकता है। उन्हें हमारी-आपकी जरूरत है। कृपया आप से कुछ बन पाए तो उनकी मुहिम में जरूर भागीदार बनें। उनके द्वारा दी गई खबर को मैं ज्यों का त्यों पोस्ट कर रहा हूं।
सुमित सिंह, मुम्बई



पैसे लेकर मर्डर की खबर पी गए?

जिलों में भ्रष्ट मीडिया और करप्ट ब्यूरोक्रेशी का घातक गठजोड़ कहर बरपाने लगा : बिहार के कटिहार जिले के इलेक्ट्रानिक मीडिया के एक पत्रकार ने किया खुलासा : कनीय अभियंता की हत्या के आरोपी अधिकारी को मीडिया का अभयदान : मीडियाकर्मियों के आगे इंसाफ के लिए गुहार लगा रही कनीय अभियंता की पत्नी : किसी ने हत्यारोपी के खिलाफ खबर नहीं दिखाई : जिसने खबर पर काम करने की कोशिश की उसे पत्रकारों ने ही गालियां दीं और धमकाया : हत्यारोपी के प्रभावशाली होने से पुलिस हाथ नहीं डाल रही : मेरा नाम नीरज कुमार झा है। मैं बिहार के कटिहार में लाइव इंडिया के लिए काम करता हूं। मुझे ये कहते हुए काफी शर्म आ रही है की यहां की पत्रकारिता की हालत बहुत ही खराब है। कटिहार में पत्रकारों का मन न्यूज का काम करने से ज्यादा पैसे के लेन-देन में लगता है। यहां 'खबरों की खबर' नाम से एक लोकल न्यूज़ चैनल कटिहार के डीएम की मेहरबानी पर चलता है। इसका काम बस यही है कि पत्रकारिता के नाम पर लोगो को परेशान करना और उनसे पैसे लेना।

इन लोगों का दबदबा बहुत ज्यादा है। यहीं के एक स्थानीय पत्रकार ने राज्य सूचना आयोग में इस चैनल के अवैध प्रसारण को बंद करने की गुहार लगाई थी। आयोग से इसे बंद करने का आदेश भी कटिहार के डीएम को मिला फिर भी आज 4 माह बीत जाने के बाद भी चैनल धड़ल्ले से चल रहा है। इस चैनल के लोगों और कटिहार की मीडिया के ज्यादातर लोगों का मतलब खबर को ईमानदारी से चलाना नहीं बल्कि खबरों को जरिया बनाकर पैसे लेना होता है।

जो पत्रकार इनके साथ इस धंधे में नहीं रहता वो या तो किसी चैनल में काम करने के काबिल नहीं माना जाता या फिर उसके काम में तरह-तरह की अड़चन पैदा की जाती है। एक घटना का जिक्र करना चाहूंगा। कटिहार के जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार एक कनीय अभियंता की हत्या के आरोपी हैं। उन पर बिहार के मुख्यमंत्री के आदेश पर कटिहार के सहायक थाने में मुकदमा दर्ज हुआ। केस नंबर 372/09 है। इसकी खबर कटिहार की मीडिया ने प्रसारित नहीं किया। वजह, जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार से मोटी रकम इन लोगों ने हासिल कर लिया था।

कटिहार की पुलिस में गहरी पैठ रखने वाले जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार की गिरफ़्तारी तक नहीं हुई। दो छोटे-छोटे बच्चे के साथ रोती बिलखती कनीय अभियंता शशि भूषण प्रशाद की पत्नी कुमारी संगीता सिन्हा ने कटिहार के हर मीडिया वाले के सामने इंसाफ की गुहार लगाई पर जिले की मीडिया को किसी भावना या कर्तव्य से कोई लेना-देना नहीं। इनका ईमान सिर्फ पैसा है। पैसे जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार ने दे ही दिया है तो खबर काहे की चलानी है। इन्होंने तो खबर अपने ऊपर वालों को भी नहीं बताया। लेकिन मैंने इसी खबर को अपने उपर बताया और मुझे खबर भेजने को कहा गया। लेकिन जब मैं जिला शिक्षा अधीक्षक प्रेमचंद्र कुमार के पास बाइट लेने गया तो उन्होंने कोई भी बाइट देने से इनकार कर दिया। कटिहार के मेरे मीडिया के भाई लोग मुझे गाली देने लगे और कहा कि तुम्हें जान से हाथ धोना है तो इस खबर को करो।

मैं कटिहार का नहीं हूं इसलिए यहां के स्थानीय पत्रकार मुझे कुछ ज्यादा ही डराते धमकाते हैं। पर मेरी चिंता कनीय अभियंता शशि भूषण प्रसाद की पत्नी और उनके बच्चे हैं जो इंसाफ के लिए भटक रहे हैं पर उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इस मामले में अगर कोई मदद कर-करा पाए तो हम सब उम्मीद कर सकते हैं कि बहुत सारी खराब स्थितियों-परिस्थितियों के बावजूद पीड़ितों को अंततः न्याय मिल जाता है।

-नीरज कुमार झा

कटिहार, बिहार

09431664370

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