
आकाश में खिला चांद
जब झांक आया मेरे कमरे में कल रात
तो मुझे उसकी याद हो आई
...मेरे ख़्यालों के दरवाजे पर कब से दस्तक दे रही है वह
जो अंदर तो आना चाहती है बहुत
पर पांव ठिठक जाते हैं
वह..
जो कहना तो बहुत कुछ चाहती है
मगर लब कांप कर रह जाते हैं।
सुमित सिंह, मुम्बई
1 comment:
चाँद इंसानों से डरता है शायद इसलिए हो कुछ ऐसा..बढ़िया अभिव्यक्ति..बधाई..
Post a Comment