कब तक दूर रहोगे मुझसे
बचकर जाओगे कहां तक
मेरी सांसे करेंगी पीछा तुम्हारा
ख़्यालों के झौंकों से मेरे बार-बार
‘धक-से’ दिल करता रहेगा तुम्हारा
बीते लम्हों को भुलाने की कोशिश में
वक़्त का हर कतरा तेरी
यादों की गली में उमड़ता रहेगा
कब तक रूठोगे मुझसे
कहां तक जाओगे तुम
हर बार तड़प उठोगे हर बार फफक पड़ोगे
मेरे एहसासात ढ़ूंढ निकालेंगे तुम्हें जब
किस-किस से बचोगे कहां-कहां फिरोगे
छुपा न पाओगे ख़ुद को कभी तुम
मेरा ख़ुदा छू आएगा तुम्हें जब!!
खत्म भी करो ये आंख-मिचौली
अब तो थम जाओ
रुक भी जाओ अब...
अब तो रुक जाओ
थम भी जाओ अब...।
सुमित सिंह, मुम्बई
1 comment:
बीते लम्हों को भुलाने की कोशिश में
वक़्त का हर कतरा तेरी
यादों की गली में उमड़ता रहेगा
बहुत खूब अच्छी लगी कविता बधाई
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