...सबसे ख़तरनाक होता है मुर्दा शांति से भर जाना
तड़प का न होना सब कुछ सहन कर जाना
घर से निकलना काम पर
और काम से लौटकर घर आना
सबसे ख़तरनाक होता है
हमारे सपनों का मर जाना....
-अवतार सिंह संधू उर्फ़ पाश

Tuesday, November 25, 2008

सिगरेट पीती लड़कियाँ पिघलते एहसास की परछाई है

एक झूठ को सदी के सबसे आसान सच में बदलने की कोशिश करती हैं
सिगरेट पीती हुई लड़कियाँ
…उंगलियों में हल्के से फंसाकर
धुँएं की एक सहमी लकीर बनाना चाहती हैं
ताकि वे बेबस किस्म की अपनी खूबसूरती को भाप बना कर उड़ा सकें

गर्मियों में गुलमोहर के पेड़ का इंतजार किसे नहीं होता...
फूलों के बोझ से लद आई डालियों और झीनी पत्तियों की छत से
चुप सा नीला आसमां भी तो दिखता है
बेहद सुंदर! पर सिगरेट पीती लड़कियों के लिए यह डर की बात है
इसलिए वे कतई गुलमोहर नहीं होना चाहतीं

तमाम किस्म की बासी और साजिश भरी खुशबुओं से बाहर निकलने का प्रयास भर है यह

नवजात शिशु के चारपाई से गिर जाने पर
पैदा हुए ‘धक-सा’ होने का एहसास अब वे नहीं पालना चाहतीं
त्रासद है कि रोते हुए शिशुओं की आवाज उनके दिलों में आगे भी सुनाई पड़ेगी
पर वे उसका भान तक नहीं होने देंगी

हाँ यह सच है!
लड़कियाँ ओठों पर शैतानी खूबसूरती बिखेरना चाहती हैं अपने अंदर गहरे छुपे डर को
पिघलाने के लिए
सदियों पुरानी देह की महक को धुएँ में झुठलाने के लिए...

लड़कियाँ अब ‘माँ’ भी नहीं होना चाहतीं
जिनकी आँखों में भय के तैरते पुराने चौखटे उन्हें काट खाने को दौड़ते हैं
मल्टीप्लेक्स होती लड़कियाँ अब घर लौटने की जरूरत नहीं पालतीं।

सुमित सिंह

4 comments:

Anonymous said...

एक आसमाँ इनका भी ! एक तादात्म्य और नाता दोनों(आपकी कविता की लड़कियों और इनका) का बनता है । भले ही गुलमोहर और तेन्दु पत्ता जुदा हो ,भले ही एक दूसरे की स्थिति से 'अदेखाई' होती हो, परन्तु एक बहनापा भी बनता है ।

अभय तिवारी said...

आप की कविता दिलचस्प है.. मुझे अच्छा लगा आप का अंदाज़.. हो सकता है कि कुछ लड़कियां आप के कथ्य पर ऐतराज़ करें..
पर उनकी परवाह न करें.. अपनी अनुभूति को ईमानदारी से रखते रहें..

विवेक सिंह said...

आपकी कविता के चर्चे चिट्ठा चर्चा पर सुने तो चले आए देखने . सचमुच कुछ अलग है . वैसे हमें ज्यादा समझ नहीं है कविताओं की .

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

मल्टीप्लेक्स होती लड़कियाँ अब घर लौटने की जरूरत नहीं पालतीं।

आपकी कविता ने औरत की विडम्बना को बड़ी खूबसूरती से उकेरा है। शुक्रिया।